मुंगेर (Munger) से एक दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया है। गंगा के तेज कटाव ने सदर प्रखंड के Kutlupur दियारा पंचायत के वार्ड नंबर 6 में तबाही मचा दी। यहां दो भाइयों—उदय पासवान और अमरजीत पासवान—के पक्के मकान गंगा की भेंट चढ़ गए। यह दृश्य इतना भयावह था कि घरवाले और ग्रामीण अपनी बेबस आंखों से घर को गंगा में समाते हुए देखते रह गए। घटना के बाद पूरे दियारा क्षेत्र में दहशत फैल गई है।
गंगा का जलस्तर बढ़ा, फिर लौटी तबाही
दरअसल, मुंगेर (Munger) में एक बार बाढ़ लौट चुकी थी, लेकिन अचानक गंगा में पानी फिर से बढ़ने लगा। जलस्तर बढ़ने के साथ ही गंगा किनारे बसे गांवों और दियारा क्षेत्रों में कटाव की स्थिति बन गई। Kutlupur पंचायत भी इस कटाव की चपेट में आ गया।
गांववालों का कहना है कि गंगा का जलस्तर बढ़ते ही किनारे की मिट्टी धीरे-धीरे टूटने लगी और अचानक कटाव इतना तेज हुआ कि पक्के मकान भी धराशायी होकर गंगा में गिर गए।
Kutlupur पंचायत में दो भाइयों का सपना टूटा
ताजा मामले में बीती रात Kutlupur दियारा पंचायत वार्ड नंबर 6 के दो भाइयों उदय पासवान और अमरजीत पासवान के पक्के मकान गंगा की लहरों में समा गए। ग्रामीणों ने बताया कि जैसे ही कटाव ने घर को अपनी चपेट में लिया, परिवार वाले तेजी से घर का सामान बाहर निकालने लगे। लेकिन कटाव की रफ्तार इतनी तेज थी कि देखते ही देखते पूरा मकान गंगा में समा गया।
इस घटना की तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए हैं। दो मिनट के इस वीडियो में साफ दिखाई देता है कि कैसे गृहस्वामी और ग्रामीण अपने आशियाने को टूटते और गंगा में जाते हुए बेबस आंखों से देख रहे हैं।
दियारा वासियों की नींदें उड़ीं
Kutlupur पंचायत में हुई इस घटना ने दियारा वासियों की नींद उड़ा दी है। लोग अब अपने घरों को लेकर डरे और सहमे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें डर है कि अगला नंबर कहीं उनके घर का न हो।
एक ग्रामीण ने कहा,
“हम पूरी रात जागकर अपना सामान निकालते रहे। अब हमें हर पल यही डर सता रहा है कि गंगा हमारा घर भी ले जाएगी।”
गांव में मातम का माहौल है। लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधा रहे हैं लेकिन भीतर से हर कोई डरा हुआ है।
सामान बचाने की जद्दोजहद
वीडियो में यह भी देखा गया कि जब घर कटाव की जद में आया तो परिवार वाले और ग्रामीण मिलकर जल्दी-जल्दी घर से सामान निकालने लगे। बर्तन, कपड़े, चारपाई और जरूरी चीजें किसी तरह बाहर निकाली गईं। लेकिन मकान को बचा पाना संभव नहीं था।
यह दृश्य देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। ग्रामीण केवल इतना कर पा रहे थे कि अपने पड़ोसी और भाई के घर से सामान निकालकर किसी सुरक्षित जगह पर रख दें।
प्रशासन हरकत में, राहत का भरोसा
घटना की जानकारी मिलने पर सदर एसडीओ कुमार अभिषेक मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि यह दुखद घटना है और प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
उन्होंने कहा कि बाढ़ नियंत्रण विभाग की टीम बेगूसराय से पहुंच गई है और कटाव रोकने के लिए काम किया जा रहा है। साथ ही, जिन परिवारों के घर गंगा में समा गए हैं, उन्हें गृह क्षतिपूर्ति योजना के तहत मुआवजा दिया जाएगा।
एसडीओ ने आश्वासन दिया कि जिला प्रशासन लगातार निगरानी कर रहा है और प्रभावित परिवारों की मदद की जाएगी।
Kutlupur पंचायत में भय का माहौल
Munger के Kutlupur पंचायत में गंगा का कटाव अब लोगों के लिए सबसे बड़ी चिंता बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि गंगा धीरे-धीरे पूरे गांव को अपनी चपेट में ले रही है। हर कोई यही सोच रहा है कि अगला नंबर उनके घर का हो सकता है।
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में कई बार गंगा का कटाव देखा है, लेकिन इस बार स्थिति और भी भयावह है। बच्चों और महिलाओं को लेकर लोग सुरक्षित जगह पर जाने की तैयारी में जुटे हैं।
गृहस्वामियों की पीड़ा
जिनका घर टूटकर गंगा में समा गया, उनकी हालत सबसे ज्यादा खराब है। उदय पासवान और अमरजीत पासवान के परिवार के लोग रो-रोकर बेहाल हैं। उनका कहना है कि उनकी मेहनत और सपनों का घर कुछ ही मिनटों में गंगा ने निगल लिया।
परिवार के लोग अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। वे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रशासन जल्द से जल्द उन्हें मुआवजा दिलाएगा और राहत उपलब्ध कराएगा।
स्थानीय लोगों में आक्रोश और चिंता
Kutlupur पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि हर साल गंगा का कटाव उनकी जिंदगी तबाह करता है। लेकिन इस समस्या का अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक उन्हें अपने घरों को इस तरह गंगा में समाते हुए देखना पड़ेगा।
ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि गंगा किनारे स्थायी तटबंध और पक्का घेराव किया जाए ताकि आगे इस तरह की त्रासदी न हो।
निष्कर्ष
मुंगेर (Munger) के Kutlupur पंचायत में गंगा के कटाव ने एक बार फिर लोगों के सपनों को छीन लिया है। उदय पासवान और अमरजीत पासवान के पक्के मकान गंगा में समा गए और कई अन्य घर भी खतरे की जद में हैं। ग्रामीणों की रातों की नींद उड़ चुकी है।
जिला प्रशासन राहत और मुआवजे की बात तो कर रहा है, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इस समस्या का स्थायी समाधान होगा? या फिर हर साल Kutlupur और Munger के दियारा वासी इसी तरह अपने घर-आशियाने को गंगा में समाते हुए देखते रहेंगे?








