बिहार की राजनीति में रविवार को उस समय दिलचस्प मोड़ आ गया जब पूर्णिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी से जुड़ा एक हल्का-फुल्का बयान सुर्खियों में आ गया। यहां राहुल गांधी के साथ मौजूद तेजस्वी यादव ने मंच से चिराग पासवान पर तंज कसते हुए कहा कि वे ‘जनता के हनुमान’ हैं और चिराग पासवान को जल्दी शादी कर लेनी चाहिए।
तेजस्वी यादव की इस टिप्पणी पर राहुल गांधी खुद को रोक नहीं पाए और मुस्कुराते हुए बोले:
“ये सलाह मेरे लिए भी अप्लीकेबल है।”
राहुल का यह बयान सुनकर वहां मौजूद लोग ठहाके लगाने लगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों और लोकतंत्र जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा हो रही थी, लेकिन अचानक शादी को लेकर आए इस बयान ने माहौल को हल्का कर दिया। यही वजह है कि अब राहुल गांधी का शादी वाला बयान सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा में है।
“हम जनता के हनुमान हैं” – तेजस्वी यादव
प्रेस कॉन्फ्रेंस का यह मजेदार प्रसंग दरअसल उस समय शुरू हुआ जब एक पत्रकार ने तेजस्वी यादव से सवाल किया कि चिराग पासवान खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ बताते हैं।
तेजस्वी यादव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया:
“हनुमान किनके हैं, ये तो सबको पता है। हम लोग तो जनता के हनुमान हैं। वो व्यक्ति-विशेष के हनुमान हो सकते हैं।”
इसके बाद उन्होंने एक कदम और आगे बढ़ते हुए कहा:
“हम उनको सलाह जरूर देंगे, हमारे बड़े भाई हैं, जल्द से जल्द शादी कर लें।”
तेजस्वी का यह बयान राजनीतिक चुटकी तो था ही, लेकिन इसने माहौल को हल्का कर दिया।
राहुल गांधी का जवाब – “ये सलाह मेरे लिए भी अप्लीकेबल”
तेजस्वी यादव की बात पर राहुल गांधी भी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके। उन्होंने तुरंत कहा,
“ये सलाह मेरे लिए भी अप्लीकेबल है।”
राहुल गांधी का यह जवाब सुनकर वहां मौजूद पत्रकार और नेता सभी ठहाके लगाने लगे। गंभीर प्रेस कॉन्फ्रेंस में अचानक आया यह पल चर्चा का मुख्य विषय बन गया।
किसानों का मुद्दा – राहुल गांधी का गंभीर रुख
शादी वाले बयान के बाद माहौल भले ही हल्का हो गया, लेकिन किसानों से जुड़े सवाल पर राहुल गांधी ने गंभीर जवाब दिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का स्टैंड बिल्कुल स्पष्ट है:
- किसानों की सुरक्षा और प्रोटेक्शन की गारंटी होनी चाहिए।
- उन पर कर्ज का बोझ कम होना चाहिए।
- सरकार को अचानक एक्सपोर्ट-इंपोर्ट नीति बदलकर किसानों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
- स्टोरेज और सप्लाई चेन की मजबूत व्यवस्था होनी चाहिए।
राहुल ने कहा कि बिहार के लिए कांग्रेस का अलग मैनिफेस्टो तैयार किया जाएगा और उसमें किसानों के मुद्दों को प्राथमिकता दी जाएगी।
चुनाव आयोग पर सवाल – मतदाता सूची से नाम कटने का मुद्दा
पत्रकारों ने जब मतदाता सूची से नाम काटे जाने का सवाल पूछा, तो राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा:
“लोग हमें बताते हैं कि वे कई बार वोट डाल चुके हैं, लेकिन इस बार उनका नाम सूची से गायब कर दिया गया है। चुनाव आयोग कहता है कि ये लोग या तो मृत हैं या पलायन कर चुके हैं, लेकिन असलियत अलग है। बिहार में बड़ी संख्या में जिंदा और सक्रिय वोटरों के नाम काट दिए गए हैं।”
राहुल ने अररिया का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां एक लाख से ज्यादा वोटरों के नाम सूची से हटाए जाने की शिकायतें आ रही हैं।
बच्चों का नया नारा – “वोट चोर गद्दी छोड़”
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने अपनी यात्रा से जुड़ा एक दिलचस्प अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि इस बार उन्हें कुछ नया देखने को मिल रहा है।
उन्होंने बताया:
“छोटे-छोटे बच्चे मेरे पास आकर कान में कहते हैं – वोट चोर गद्दी छोड़। यह केवल एक-दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में बच्चे कह रहे हैं। इससे साफ है कि यह नारा अब जनता के दिल और दिमाग में बैठ गया है।”
राहुल गांधी ने कहा कि अगर इतने छोटे बच्चे भी राजनीति को समझने लगे हैं, तो यह चुनाव आयोग और सरकार दोनों के लिए गंभीर संकेत है।
राजनीति का नया रंग – गंभीर मुद्दे और हल्की-फुल्की बातचीत
पूर्णिया की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो तस्वीरें साफ दिखीं:
- गंभीर पक्ष – किसानों की समस्या, मतदाता सूची से नाम कटने का मामला और लोकतंत्र पर खतरा।
- हल्का पक्ष – चिराग पासवान पर ‘हनुमान’ वाली टिप्पणी, शादी की सलाह और बच्चों के नारे की चर्चा।
यही मिश्रण इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को खास बना गया। आमतौर पर राजनीतिक मंचों पर केवल गंभीर बयानबाजी होती है, लेकिन यहां नेताओं ने हंसी-मजाक के जरिए भी जनता से जुड़ने की कोशिश की।
वोटर अधिकार यात्रा – राहुल गांधी का नया प्रयोग
यह राहुल गांधी की तीसरी बड़ी यात्रा है।
- पहली थी भारत जोड़ो यात्रा।
- दूसरी थी मणिपुर से महाराष्ट्र तक की यात्रा।
- और अब तीसरी है वोटर अधिकार यात्रा।
इस बार उनका फोकस खासतौर पर वोटरों के अधिकार और लोकतंत्र की बहाली पर है।
राहुल का कहना है कि:
- लोकतंत्र पर लगातार हमला हो रहा है।
- चुनाव आयोग की भूमिका सवालों के घेरे में है।
- जनता और खासकर युवा पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं।
बिहार की राजनीति और आने वाला समय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का यह तालमेल बिहार की राजनीति पर बड़ा असर डाल सकता है।
- राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
- तेजस्वी यादव बिहार में भाजपा और जदयू के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
- और अब दोनों का साथ मिलकर जनता से जुड़ना आने वाले विधानसभा चुनाव में नए समीकरण बना सकता है।
निष्कर्ष
पूर्णिया की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस इस बात का सबूत है कि राजनीति केवल गंभीर मुद्दों पर बहस तक सीमित नहीं है। यहां किसानों की समस्या और लोकतंत्र की बात तो हुई ही, लेकिन राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने हंसी-मजाक के जरिए भी माहौल को सहज बनाया।
राहुल गांधी का शादी वाला बयान भले ही मजाक में दिया गया हो, लेकिन इसने चर्चा का नया विषय खड़ा कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी “वोटर अधिकार यात्रा” और इस तरह के हल्के-फुल्के अंदाज आने वाले चुनावी समीकरणों को किस तरह प्रभावित करते हैं।