मुंगेर (बिहार): भाई-बहन के पवित्र पर्व कर्माधर्मा के मौके पर मुंगेर जिले में एक हृदय विदारक घटना घटित हो गई। परंपरा निभाने और त्योहार की तैयारी करने गई एक बहन नदी में नहाते समय डूब गई और उसकी मौत हो गई। तीन भाइयों की इकलौती बहन की असमय मृत्यु से परिवार और गांव में मातम छा गया है।
क्या है पूरा मामला?
घटना मुंगेर जिला अंतर्गत बरियारपुर थाना क्षेत्र के ऋषिकुंड गांव की है। यहां कर्माधर्मा पर्व के अवसर पर ससुराल से मायके लौटी 30 वर्षीय ललिता देवी अपनी सहेलियों के साथ नदी स्नान के लिए गई थीं। यह नदी इस समय बरसात के कारण उफान पर है और इसमें सामान्य से कहीं अधिक पानी भरा हुआ है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, सहेलियों के साथ नदी में उतरने के दौरान ललिता देवी अचानक गहरे पानी में चली गईं। तेज धारा और गहराई की वजह से वह वापस नहीं निकल पाईं। उनकी सहेलियों ने शोर मचाकर आसपास के लोगों को बुलाया। ग्रामीणों ने काफी मशक्कत के बाद नदी से उनका शव बाहर निकाला और तुरंत अस्पताल ले जाया गया।
अस्पताल ले जाने के बाद भी नहीं बची जान
ग्रामीणों ने बताया कि ललिता देवी को पहले बरियारपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए मुंगेर सदर अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी।
परिजनों ने बताया कि ललिता देवी की तबीयत सामान्य थी और वह खुशी-खुशी पर्व मनाने मायके आई थीं। लेकिन अचानक हुए इस हादसे ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया।
परिवार का रो-रोकर बुरा हाल
मृतका के बड़े भाई मंटुश कुमार ने बताया कि –
“हम तीन भाई हैं और ललिता हमारी इकलौती बहन थी। वह हर साल इस पर्व पर मायके आती थी। इस बार भी बहुत उत्साह के साथ आई थी। लेकिन हमें क्या पता था कि यह उसका आखिरी कर्माधर्मा होगा। हम सब बर्बाद हो गए।”
गांव में भी हर कोई इस घटना से स्तब्ध है। ग्रामीणों का कहना है कि ललिता देवी हंसमुख और मिलनसार स्वभाव की थीं। उनके जाने से गांव में शोक की लहर है।
क्या होता है कर्माधर्मा पर्व?
कर्माधर्मा बिहार और झारखंड के कई हिस्सों में मनाया जाने वाला भाई-बहन का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। परंपरा के अनुसार बहनें नदी या तालाब में स्नान कर व्रत-पूजा करती हैं और फिर भाई के लिए विशेष अनुष्ठान करती हैं।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि –
“यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। बहनें पूरी श्रद्धा से पूजा करती हैं ताकि उनके भाई सुखी और स्वस्थ रहें। लेकिन इस बार यह पर्व खुशी के बजाय शोक में बदल गया।”
हादसे का कारण क्या था?
गांव के लोगों के मुताबिक, बरसाती नदी इस समय तेज धारा और अधिक गहराई के कारण बेहद खतरनाक है। नहाने के दौरान जरा सी चूक से हादसा हो सकता है।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया –
“हम सब नदी किनारे थे। ललिता अपनी सहेलियों के साथ नहा रही थी। अचानक वह डुबकी लगाकर गहरे पानी में चली गई और बाहर नहीं निकल पाई। शोर सुनकर हम लोग दौड़े और उसे बाहर निकाला। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।”
सुरक्षा को लेकर उठे सवाल
इस घटना के बाद ग्रामीणों ने प्रशासन से बरसात के मौसम में नदी और तालाबों में स्नान पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि त्योहारों और पर्वों के समय अधिक भीड़ जुटती है और अक्सर लोग हादसे का शिकार हो जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि –
- बरसाती नदियों और तालाबों में पानी का स्तर अचानक बढ़ जाता है।
- गहराई का अंदाजा नहीं लग पाता और लोग डूब जाते हैं।
- प्रशासन को ऐसे स्थानों पर चेतावनी बोर्ड, गोताखोर और सुरक्षा व्यवस्था करनी चाहिए।
भावुक कर देने वाला माहौल
ललिता देवी के निधन की खबर जैसे ही गांव पहुंची, घर पर कोहराम मच गया। परिजन रो-रोकर बेसुध हो गए। विशेषकर तीन भाइयों के लिए यह क्षण बेहद कठिन था। ग्रामीणों का कहना है कि पूरे गांव ने भाइयों को सांत्वना दी, लेकिन मां-बाप और भाइयों का दर्द शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
सामाजिक संदेश
इस तरह की घटनाएं हमें बार-बार यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि त्योहार और परंपराएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। बरसाती नदी, तालाब या किसी भी असुरक्षित जलस्रोत में बिना सुरक्षा इंतजाम के स्नान करना जानलेवा साबित हो सकता है।
लोगों को चाहिए कि –
- त्योहार की भावना में बहकर अपनी सुरक्षा को न भूलें।
- स्थानीय प्रशासन को समय रहते सुरक्षा उपाय करने चाहिए।
- बच्चों और महिलाओं को विशेष रूप से सुरक्षित स्थानों पर ही स्नान करना चाहिए।
निष्कर्ष
मुंगेर की यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सीख है। एक तरफ भाई-बहन का पर्व मनाया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर एक इकलौती बहन की मौत ने इस पर्व को शोक में बदल दिया।
ललिता देवी की असमय मौत ने सभी को झकझोर दिया है। परिवार के लिए यह दर्द हमेशा बना रहेगा। लेकिन अगर हम सभी सतर्क रहें और प्रशासन भी सजग हो, तो भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है।
✍️ लेखक का संदेश:
त्योहार खुशी और मिलन का प्रतीक होते हैं। इन्हें मनाते समय हमें अपनी और अपनों की सुरक्षा को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए








