बिहार के मुंगेर जिले का नाम इन दिनों जिस तरह से ख़बरों में आया है, वो शायद किसी को भी अच्छा नहीं लगेगा। मामला है तारापुर थाने का, जहाँ पुलिसवाले और कुछ यूट्यूबर आपस में भिड़ गए। यार, सोचो, थाने के अंदर ही हाथापाई हो गई! इस पूरी घटना का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, उसे देखकर लोग सीधे-सीधे दो हिस्सों में बँट गए हैं—कुछ कह रहे हैं पुलिस गलत है, तो कुछ पूछ रहे हैं कि क्या यूट्यूबरों को हर जगह कैमरा लेकर घुस जाना चाहिए?
मामला आखिर शुरू कहाँ से हुआ?
यह घटना तीज के त्योहार के दिन की है। तारापुर की मेन रोड पर जबरदस्त जाम लगा हुआ था। ट्रैफिक पुलिस जैसे-तैसे सब मैनेज करने में जुटी थी। इसी बीच, लगभग आठ लोग, जिनमें एक महिला यूट्यूबर भी थीं, वहाँ पहुँच गए।
ये लोग सीधा अपने YouTube चैनल पर लाइव स्ट्रीमिंग करने लगे। अब पुलिस को तो अपना काम करना था, उन्होंने उन्हें रोका। बस फिर क्या था! दोनों तरफ से जुबानी जंग शुरू हो गई, जो देखते ही देखते थाने के परिसर में हाथापाई तक पहुँच गई। मतलब, बात शुरू हुई सड़क जाम से और खत्म हुई पुलिस स्टेशन के अंदर बवाल पर!
वीडियो में जो दिखा, वो हैरान कर देने वाला था!
सोशल मीडिया पर वायरल क्लिप में जो चीज़ सबसे ज़्यादा चौंकाती है, वो है दोनों तरफ की गुस्सैल प्रतिक्रियाएँ।
वीडियो में साफ दिखता है कि एक पुलिसकर्मी ने पहले एक लड़के को थप्पड़ मारा। और यकीन मानिए, उस लड़के ने भी बिना देर किए पुलिसवाले को पलटकर थप्पड़ जड़ दिया! इसके बाद तो सीन ही बदल गया, एकदम से भगदड़ और धक्का-मुक्की शुरू हो गई।
यही नहीं, मौके पर मौजूद महिला यूट्यूबर और महिला पुलिसकर्मी के बीच भी जमकर बहस हुई। और ये सब कुछ लाइव चल रहा था! सोचिए, आपके मोबाइल पर झगड़े की लाइव फुटेज चल रही है!
यूट्यूबर क्यों गुस्सा थे और पुलिस का क्या कहना है?
यूट्यूबरों का कहना है कि वे तो बस लोगों को ट्रैफिक की सच्चाई दिखा रहे थे। उनका आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ बदतमीज़ी की, यहाँ तक कि महिला सहयोगी के साथ भी ठीक व्यवहार नहीं किया गया।
पुलिस का पक्ष थोड़ा सीधा है: “भाईसाहब, आप बिना इजाज़त थाने के अंदर क्यों आए? आप नियमों को तोड़कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे।” पुलिस ने कहा कि उन्हें व्यवस्था बनाए रखने के लिए मजबूरन थोड़ा-बहुत बल प्रयोग करना पड़ा।
एसपी ने क्या कहा और क्या कार्रवाई हुई?
मुंगेर के एसपी सैयद इमरान मसूद ने फौरन इस मामले पर संज्ञान लिया। उन्होंने खड़गपुर डीएसपी को जाँच सौंप दी है। एसपी ने भी यही माना कि विवाद तब बढ़ा, जब लाइव कवरेज को रोका गया।
ख़बर ये है कि सभी आठों यूट्यूबरों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की गई, लेकिन देर रात हिदायत देकर उन्हें ज़मानत पर छोड़ दिया गया। पुलिस ने सख्त लहजे में कहा है कि अगर उन्होंने दोबारा ऐसी हरकत की, तो सख्त एक्शन लिया जाएगा।
मेरा सवाल: क्या हर जगह कैमरा जरूरी है?
ये घटना सिर्फ पुलिस और यूट्यूबर का झगड़ा नहीं है। यह आज के दौर के सोशल मीडिया क्रेज़ पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है:
- सिर्फ व्यूज़ और पॉपुलैरिटी के लिए क्या किसी भी संवेदनशील जगह पर, जैसे कि पुलिस स्टेशन, बिना परमिशन के कैमरा ऑन करना सही है?
- क्या पुलिस को भी ऐसे हालात में थोड़ा सब्र और शांति से काम नहीं लेना चाहिए था, ताकि बात इतनी न बढ़े?
आज सोशल मीडिया की ताकत बहुत ज़्यादा है, लेकिन इसके साथ ही बड़ी ज़िम्मेदारी भी आती है। मुंगेर की यह घटना सबको सिखाती है कि आज़ादी और अनुशासन के बीच एक पतली-सी लाइन होती है, जिसे कोई भी पार न करे। वरना, ऐसे ‘दंगल’ होते रहेंगे!








