मुंगेर (बिहार): आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए फरार अपराधियों की धर-पकड़ में जुटी पुलिस इस समय हर हाल में सख्त कार्रवाई कर रही है। लेकिन इसी कड़ी में मुंगेर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। आरोप है कि धरारा थाना और मुफस्सिल थाना की पुलिस टीम आरोपी को पकड़ने गई थी, लेकिन जब आरोपी नहीं मिला तो उसके रिश्तेदारों को ही पकड़कर बेरहमी से पीटा गया।
घटना में घायल हुए पिता-पुत्र को इलाज के लिए मुंगेर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस मामले का वीडियो भी सामने आया है जिसके बाद पुलिस कप्तान (एसपी) ने तत्काल संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए।
मामला क्या है?
सूत्रों और पीड़ित परिवार से मिली जानकारी के अनुसार, धरारा थाना क्षेत्र के मोहनपुर निवासी संजय सिंह और अन्य आरोपी हत्या के मामले में फरार चल रहे थे। पुलिस को सूचना मिली कि आरोपी संजय सिंह अपनी बेटी के ससुराल, मुफस्सिल थाना क्षेत्र के दरियापुर गांव में छिपा हुआ है।
इस सूचना के आधार पर शुक्रवार की सुबह करीब 5 बजे धरारा थाना और मुफस्सिल थाना की संयुक्त टीम ने विजय सिंह के घर छापेमारी की। लेकिन जब आरोपी संजय सिंह वहां नहीं मिला तो पुलिस ने घर को पूरी तरह खंगालने के बाद विजय सिंह और उनके बेटे सुधांशु सिंह को पकड़ लिया।
पीड़ितों का आरोप है कि दोनों को न केवल मौके पर पीटा गया, बल्कि बाद में थाने ले जाकर भी बुरी तरह से मारपीट की गई।
अस्पताल में भर्ती, गंभीर चोटें
मारपीट के बाद दोनों घायलों को सदर अस्पताल ले जाया गया। सुधांशु सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनकी पहले ही ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें डंडों से पीटा और कई बार सिर पर वार किया।
पीड़ितों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें पानी तक नहीं दिया और गंदी-गंदी गालियां दीं। सुधांशु के पिता विजय सिंह ने बताया कि उन्हें भी बेरहमी से मारा गया, जिससे उनके शरीर पर कई निशान हैं।
सुधांशु ने दावा किया, “हम लोगों को हाथ-पैर बांधकर पीटा गया। सिर और पीठ पर डंडे मारे गए। यहां तक कि थाने में लिखवाया गया कि हमें कोई चोट नहीं लगी है। जबकि हकीकत यह है कि हमें बहुत गंभीर चोटें आई हैं।”
पीड़ितों का पक्ष
पीड़ित पक्ष का कहना है कि पुलिस गलतफहमी में उन्हें टारगेट कर रही है।
विजय सिंह का कहना है, “हमारा बेटा का रिश्ता आरोपी के घर से है। लेकिन हमें यह नहीं पता था कि आरोपी कहां है। हमने साफ कह दिया कि हमें कोई जानकारी नहीं है। इसके बावजूद पुलिस ने हमसे बर्बरता की।”
उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस उन्हें आधी रात में उठा कर ले गई और थाने में घंटों तक टॉर्चर किया।
पुलिस का पक्ष
इस घटना पर पुलिस का पक्ष भी सामने आया है। सदर डीएसपी अभिषेक आनंद ने बताया कि फरार आरोपियों की तलाश में धरारा थाना और मुफस्सिल थाना पुलिस संयुक्त रूप से छापेमारी करने गई थी।
उन्होंने कहा, “छापेमारी के दौरान पुलिस द्वारा मारपीट किए जाने की शिकायत मिली है। इस संबंध में वीडियो भी सामने आया है। मामले की जांच की जा रही है। अगर किसी पुलिसकर्मी की संलिप्तता पाई जाती है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।”
मुंगेर एसपी सैयद इमरान मसूद ने भी स्पष्ट किया कि मामले की जांच का जिम्मा डीएसपी को दिया गया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दोषी पुलिसकर्मियों को बख्शा नहीं जाएगा।
क्यों हो रही है इतनी सख्ती?
मुंगेर पुलिस इस समय विधानसभा चुनाव को देखते हुए फरार अपराधियों को पकड़ने की लगातार कोशिश कर रही है। पुलिस पर दबाव है कि जल्द से जल्द पुराने मामलों के वांछित अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जाए।
पुलिस सूत्र बताते हैं कि इसी हड़बड़ी में कई बार दबाव बढ़ने पर अधिकारी सख्ती बरतते हैं, लेकिन इस मामले ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
यह मामला सामने आने के बाद स्थानीय स्तर पर भी हलचल मच गई है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस को आरोपी को पकड़ने में तेजी दिखानी चाहिए, लेकिन निर्दोष लोगों को प्रताड़ित करना उचित नहीं है।
कुछ सामाजिक संगठनों ने इस घटना की निंदा की है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की है। वहीं राजनीतिक गलियारों में भी इस घटना पर चर्चा शुरू हो गई है।
प्रशासन की चुनौती
अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो। क्योंकि अगर मामले में शामिल पुलिसकर्मी दोषी पाए जाते हैं, तो यह न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़ा करेगा बल्कि आम जनता के बीच पुलिस की छवि को भी धक्का पहुंचाएगा।
मुंगेर पहले से ही अपराध और पुलिस की सख्ती के लिए सुर्खियों में रहता है। ऐसे में इस तरह के मामले का सामने आना पुलिस प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती है।
निष्कर्ष
मुंगेर का यह मामला दिखाता है कि फरार अपराधियों की तलाश में पुलिस किस तरह से दबाव में काम कर रही है। लेकिन साथ ही यह भी सच है कि निर्दोष लोगों को प्रताड़ित करना किसी भी हाल में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।
फिलहाल मामले की जांच जारी है। अब देखना होगा कि रिपोर्ट आने के बाद दोषी पुलिसकर्मियों पर क्या कार्रवाई होती है।
📌 मुख्य बिंदु:
- धरारा और मुफस्सिल थाना की पुलिस फरार आरोपी को पकड़ने गई थी।
- आरोपी नहीं मिला तो उसके रिश्तेदार पिता-पुत्र को पीटा गया।
- घायल अवस्था में दोनों को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
- पीड़ितों का आरोप – थाने में भी बुरी तरह पिटाई हुई।
- एसपी ने जांच का जिम्मा डीएसपी को सौंपा।
- दोषी पाए जाने पर पुलिसकर्मियों पर होगी कार्रवाई।








