मुंगेर (बिहार): बिहार में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और इसका असर अब जिले के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों पर भी पड़ने लगा है। देश के 52 शक्तिपीठों में शामिल मुंगेर का चंडिका स्थान मंदिर एक बार फिर बाढ़ के पानी की चपेट में आ गया है। मां चंडिका का यह धाम न केवल मुंगेर जिले बल्कि पूरे बिहार और पूर्वी भारत के लिए आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है।
गंगा का जलस्तर इस समय खतरे के निशान से महज 14 सेंटीमीटर नीचे है और पानी मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच चुका है। मंदिर प्रशासन और स्थानीय लोगों ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए गर्भगृह और मुख्य द्वार को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। हालांकि, आस्था में कोई कमी नहीं आई है और भक्त मंदिर के बाहर मुख्य द्वार पर ही पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
मां चंडिका स्थान: जहां गिरा था सती का नेत्र
पुराणों के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के शव को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के अंगों को अलग-अलग स्थानों पर गिराया। इन्हीं स्थलों को शक्तिपीठ कहा जाता है।
कहा जाता है कि मुंगेर के चंडिका स्थान पर माता सती का बायां नेत्र गिरा था। इसी कारण इस स्थल पर मां चंडिका की पूजा नेत्र रूप में की जाती है। यह मंदिर आस्था का इतना बड़ा केंद्र है कि सावन, नवरात्र और चैत्र में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
गर्भगृह तक घुसा पानी, मुख्य द्वार पर हो रही पूजा
चंडिका स्थान मंदिर के पुजारी संजय बाबा ने बताया कि गंगा का जलस्तर 26 अगस्त की शाम से तेजी से बढ़ने लगा था। अब हालात यह हैं कि मंदिर परिसर में 2 से 3 फीट तक पानी भर चुका है और गर्भगृह में 6 फीट पानी जमा है। इस वजह से श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए गर्भगृह का दरवाजा और मंदिर का मुख्य गेट बंद कर दिया गया है।
भक्त अब मंदिर के बाहर सीढ़ियों और मुख्य द्वार पर ही पूजा कर रहे हैं। मंदिर प्रबंधन की ओर से पंडित नियमित रूप से गर्भगृह में जाकर मां की श्रृंगार पूजा कर रहे हैं। हालांकि, भक्तों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है ताकि कोई दुर्घटना न हो।
बाढ़ से शहर के कई हिस्सों पर असर
गंगा का जलस्तर बढ़ने से मुंगेर शहर और आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हैं। कई निचले मोहल्लों और सड़कों पर पानी भर चुका है। लोगों को आवाजाही में दिक्कत हो रही है। चूंकि चंडिका स्थान गंगा किनारे स्थित है, इसलिए सबसे पहले इसका असर यहीं देखने को मिलता है।
स्थानीय प्रशासन ने धार्मिक न्यास बोर्ड के निर्देश पर मंदिर को सील कर दिया है। बोर्ड के सचिव ने स्पष्ट कहा है कि “श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। जब तक जलस्तर सामान्य नहीं हो जाता, तब तक मंदिर बंद रहेगा।”
श्रद्धालुओं की आस्था में नहीं आई कमी
हालांकि, मंदिर बंद होने से भक्त निराश जरूर हैं, लेकिन उनकी आस्था जरा भी डगमगाई नहीं है। लोग मुख्य द्वार पर ही फूल, नारियल और चुनरी चढ़ाकर मां चंडिका से आशीर्वाद ले रहे हैं।
स्थानीय श्रद्धालु अरुण कुमार ने बताया,
“गंगा हर साल इस मंदिर तक पहुंचती है, लेकिन हमारी आस्था पर कोई असर नहीं पड़ता। मां चंडिका हमारी रक्षा करती हैं, इसलिए हम चाहे जहां हों, उनका पूजन जारी रखते हैं।”
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
चंडिका स्थान न सिर्फ एक शक्तिपीठ है, बल्कि मुंगेर की धार्मिक पहचान भी है।
- यहां नवरात्र और चैत्र नवरात्र में विशेष मेले लगते हैं।
- सावन में भी भक्त बड़ी संख्या में दर्शन करने आते हैं।
- मंदिर का जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों और स्थानीय लोककथाओं में मिलता है।
इतिहासकार बताते हैं कि मुंगेर का यह शक्तिपीठ पाली काल में भी प्रसिद्ध था। यहां के अवशेष और शिलालेख इस बात का प्रमाण हैं कि इस मंदिर को राजाओं और सामंतों ने हमेशा विशेष महत्व दिया।
गंगा का बढ़ता जलस्तर: प्रशासन अलर्ट
मौसम विभाग के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश और उत्तर बिहार की नदियों में बढ़े जलस्तर के कारण गंगा में पानी की मात्रा बढ़ी है।
वर्तमान में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 14 सेंटीमीटर नीचे है, लेकिन अगले 48 घंटों में इसमें और बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है।
प्रशासन ने चेतावनी जारी की है कि निचले इलाकों में रहने वाले लोग सतर्क रहें। राहत एवं बचाव दल को भी तैयार रखा गया है।
बाढ़ और चंडिका स्थान का रिश्ता
स्थानीय लोग बताते हैं कि यह पहला मौका नहीं है जब गंगा का पानी मंदिर तक पहुंचा हो।
हर साल बारिश के मौसम में गंगा का जलस्तर बढ़ने पर मंदिर आंशिक रूप से डूब जाता है। इसे स्थानीय लोग मां की “वार्षिक लीला” मानते हैं। उनका मानना है कि यह मां की शक्ति का ही प्रतीक है कि मंदिर पानी में डूबने के बावजूद हर बार सुरक्षित निकल आता है।
निष्कर्ष: आस्था और आपदा का संगम
मुंगेर का चंडिका स्थान आज बाढ़ की विभीषिका और आस्था की शक्ति, दोनों का गवाह है। एक ओर गंगा का उफान है, तो दूसरी ओर श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा।
मंदिर के बंद होने के बावजूद भक्त मां के द्वार पर जुटे हैं और यही इस स्थान की असली पहचान है।
प्रशासन की ओर से सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं और उम्मीद है कि जलस्तर घटते ही मंदिर फिर से भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा।








