पटना — बिहार सरकार ने राज्य के लाखों युवाओं के लिए एक बड़ी राहत और अवसर का दरवाज़ा खोल दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया कि बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) और अन्य सरकारी संस्थानों द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रारंभिक परीक्षा के लिए अब केवल ₹100 आवेदन शुल्क लिया जाएगा।
यह फैसला उन युवाओं के लिए उम्मीद की किरण है जो आर्थिक तंगी के बावजूद सरकारी नौकरी का सपना देखते हैं। खासतौर पर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के अभ्यर्थियों के लिए यह कदम एक नई ऊर्जा लेकर आया है।
क्या है यह नया फैसला?
बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी प्रेस नोट में स्पष्ट किया गया है कि अब राज्य सरकार के अधीन आने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं — जैसे कि:
- बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC)
- बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC)
- बिहार तकनीकी सेवा आयोग
- बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग
- केंद्रीय सिपाही चयन पर्षद, बिहार
इन सभी के द्वारा ली जाने वाली प्रारंभिक परीक्षाओं के लिए आवेदन शुल्क में या तो कटौती की गई है या पूर्णतः छूट प्रदान की गई है। नई व्यवस्था के तहत अभ्यर्थियों को अब महज़ ₹100 में ही आवेदन करने की सुविधा मिलेगी, जो पहले ₹500 से लेकर ₹1000 तक हुआ करती थी।
फैसले के पीछे की सोच: ‘समावेशी और सुलभ प्रशासन’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली सरकार का यह फैसला न केवल युवाओं को आर्थिक राहत देने वाला है, बल्कि यह राज्य के प्रशासन को समावेशी और सुलभ बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
आज के समय में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र पहले ही महंगे कोचिंग, किताबों और किराए जैसे खर्चों से जूझते हैं। ऐसे में आवेदन शुल्क में भारी कटौती उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से मजबूती देगी।
युवाओं में खुशी की लहर
इस फैसले के बाद राज्य भर के युवाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों में उत्साह और संतोष देखने को मिल रहा है। पटना के एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाई कर रहे छात्र राहुल कुमार कहते हैं:
“सरकारी नौकरी की तैयारी में सबसे बड़ी चुनौती होती थी बार-बार फॉर्म भरने का खर्च। ये ₹100 की व्यवस्था हमारे जैसे आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए वरदान है।”
वहीं गया जिले की एक छात्रा संध्या कुमारी कहती हैं:
“अब हमें फॉर्म भरने से पहले सोचना नहीं पड़ेगा। हर अवसर को हम पकड़ सकते हैं। ये फैसला हमारे सपनों को और मजबूती देगा।”
राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी दूरगामी प्रभाव डालने वाला है। यह फैसला 2025-2026 के आगामी चुनावों से पहले युवा मतदाताओं को साधने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
सामाजिक रूप से, यह निर्णय समाज के हर वर्ग को एक समान अवसर देने की पहल है। अब ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र भी उतने ही आत्मविश्वास से फॉर्म भर पाएंगे जितना कि शहरी क्षेत्र के विद्यार्थी।
बिहार अन्य राज्यों के लिए बना उदाहरण
इस फैसले के बाद बिहार अब उन गिने-चुने राज्यों में शामिल हो गया है जहां सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं में आवेदन शुल्क बेहद नाममात्र है। यह मॉडल अब अन्य राज्यों को भी प्रेरणा देगा कि वे भी अपने युवाओं की सुविधा के लिए इस तरह के निर्णय लें।
क्या है आगे की राह?
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह सुविधा सिर्फ प्रारंभिक परीक्षा तक सीमित रहेगी या मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू तक भी विस्तारित की जाएगी। साथ ही, यह निर्णय शुद्ध रूप से सभी परीक्षाओं पर कब और कैसे लागू होगा, इस पर भी विस्तृत गाइडलाइन आने की संभावना है।
सरकार की ओर से यह अपेक्षा भी की जा रही है कि कम शुल्क के कारण फर्जी और बिना तैयारी वाले फॉर्म्स की संख्या न बढ़े। इसके लिए आवेदन प्रक्रिया में कुछ और नियंत्रण या शर्तें जोड़ी जा सकती हैं।
निष्कर्ष: युवाओं के सपनों को मिलेगा नया आयाम
बिहार सरकार का यह कदम “गुड गवर्नेंस” की एक मिसाल है। यह दिखाता है कि यदि नीति निर्धारकों की सोच समावेशी हो तो छोटे-छोटे फैसले भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
अब वह समय दूर नहीं जब बिहार से निकले होनहार युवा भारत की प्रशासनिक, तकनीकी, और सुरक्षा सेवाओं में अपनी जगह बनाएंगे — और शायद यह यात्रा शुरू होगी सिर्फ ₹100 से!