मुंगेर (बिहार)। मुंगेर जिला धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए हमेशा प्रसिद्ध रहा है। हर वर्ष की तरह इस साल 2025 में भी बंगाली टोला स्थित बिहुला विषहरी पूजा समिति की ओर से भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा में लगभग 8500 श्रद्धालुओं ने भाग लिया और पूरा क्षेत्र आस्था और भक्ति से सराबोर हो गया।
कलश यात्रा की शुरुआत
कलश यात्रा का शुभारंभ बिहुला विषहरी मंदिर से हुआ। सुबह श्रद्धालुओं ने स्नान कर कलश उठाया और पूरे विधि-विधान के साथ यात्रा प्रारंभ की।
- यात्रा सबसे पहले आशा टोला पहुँची।
- इसके बाद श्रद्धालु बुढ़िया काली स्थान से जल भरने गए।
- फिर यात्रा घोरघट के लिए प्रस्थान की।
- अंत में सभी श्रद्धालु पुनः बिहुला विषहरी मंदिर लौटे और जल अर्पित किया।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस कलश यात्रा का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। आस्था है कि इस पूजा से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और विषहरी माता की कृपा से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
सेवा और सहयोग का अद्भुत नजारा
यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह शरबत और पेयजल की व्यवस्था की गई थी। गर्मी को देखते हुए ग्रामीणों ने अपने स्तर पर सड़क पर पानी छिड़काव कर यात्रियों को राहत दी।
गांव के बुजुर्गों का कहना था कि यह आयोजन केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आपसी सहयोग और भाईचारे का प्रतीक है। हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार इस यात्रा को सफल बनाने में जुटा रहा।
भोजन प्रसाद और सामूहिक भक्ति
कलश यात्रा के समापन के बाद समिति की ओर से सभी श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसाद का प्रबंध किया गया। हजारों लोगों ने एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान पूरा वातावरण भक्ति और एकजुटता से भरा हुआ था।
चार दिनों तक चलता है मेला
बिहुला विषहरी पूजा केवल कलश यात्रा तक सीमित नहीं है। इसके साथ चार दिनों तक चलने वाला मेला भी आयोजित होता है। इस वर्ष यह मेला 16 अगस्त से 19 अगस्त 2025 तक चलेगा।
मेले में धार्मिक आयोजन के साथ-साथ मनोरंजन और व्यापार का भी माहौल रहता है।
- गाँव और शहर से आए लोग खरीदारी करते हैं।
- बच्चों के लिए झूले और खेल-खिलौनों की दुकानें रहती हैं।
- लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
बिहुला विषहरी का नाटक – विशेष आकर्षण
इस मेले की सबसे खास पहचान है यहां होने वाला बिहुला विषहरी का नाटक। यह नाटक स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है और पूरी तरह लोक परंपरा पर आधारित होता है।
नाटक बिहुला और लखिंधर की लोककथा पर केंद्रित है। आस्था है कि यह कथा जीवन के संघर्ष, आस्था की शक्ति और विषहरी माता की कृपा का प्रतीक है। ग्रामीण ही नहीं, बल्कि दूर-दराज से आए लोग भी इस नाटक को देखने के लिए देर रात तक जुटे रहते हैं।
आस्था और परंपरा का संगम
स्थानीय लोगों ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी सभी श्रद्धालु श्रद्धा और समर्पण के साथ आयोजन को सफल बनाने में लगे रहे। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि समाज के हर वर्ग से सहयोग मिला।
यह आयोजन न केवल धार्मिक विश्वास को मजबूत करता है बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवित रखता है।
निष्कर्ष
मुंगेर का यह आयोजन आस्था, परंपरा और सामाजिक एकजुटता का अनोखा उदाहरण है। बंगाली टोला की बिहुला विषहरी पूजा और कलश यात्रा ने एक बार फिर यह साबित किया कि धार्मिक आयोजनों के माध्यम से समाज में भाईचारा और सहयोग की भावना मजबूत होती है।
चार दिनों तक चलने वाला यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी बेहद खास है। यही वजह है कि यह आयोजन हर साल और भव्य होता जा रहा है तथा मुंगेर की पहचान बन चुका है।