बिहार 
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मुंगेर: करहरिया पूर्वी पंचायत में बाढ़ राहत की मांग को लेकर सड़क जाम, प्रशासन ने दिया आश्वासन

On: August 14, 2025 10:10 PM
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करहरिया पूर्वी पंचायत में बाढ़ राहत की मांग को लेकर सड़क जाम, प्रशासन ने दिया आश्वासन
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मुंगेर जिले के बरियारपुर प्रखंड के करहरिया पूर्वी पंचायत के नजीरा घोरघट में बाढ़ के पानी से बुरी तरह प्रभावित ग्रामीणों ने सड़क जाम करके अपनी नाराजगी जाहिर की। उनका आरोप था कि बाढ़ के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई राहत सामग्री नहीं दी गई और न ही यह बताया गया कि यह क्षेत्र बाढ़ग्रस्त है। प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम न उठाए जाने पर गांववाले गुस्से में थे और उन्होंने चार घंटे तक सड़क जाम कर दी।

जाम की वजह

गांववाले दावा कर रहे थे कि बाढ़ के कारण उनकी गली और घर जलमग्न हो गए हैं, लेकिन राहत सामग्री की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। उनके अनुसार, न तो प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति को घोषित किया और न ही उन्हें बुनियादी राहत प्रदान की गई। जबकि आसपास के पंचायतों में खाने-पीने की व्यवस्था हो रही थी, करहरिया पूर्वी पंचायत में राहत कार्यों का अभाव था। इस स्थिति के चलते ग्रामीणों में आक्रोश था और उन्होंने सड़क जाम करने का निर्णय लिया।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

ग्रामीणों ने प्रशासन से राहत देने की मांग की, जिसके बाद बरियारपुर थाना की पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने यह आश्वासन दिया कि वे सीओ से बात करेंगे और जल्द ही स्थिति को संभालेंगे। इसके बाद सीओ ने यह कहा कि बाढ़ की स्थिति को घोषित किया जाएगा और राहत सामग्री दी जाएगी।

मुखिया ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी, लेकिन यह महत्वपूर्ण था कि वह तब तक मौके पर नहीं आए जब तक पुलिस ने उनके घर पर जाकर उनसे बात नहीं की। पुलिस के बाद मुखिया 15 मिनट बाद घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने आश्वासन दिया कि बाढ़ को घोषित किया जाएगा और राहत कार्य शुरू किए जाएंगे। हालांकि, लिखित आश्वासन देने से संबंधित कोई कदम नहीं उठाया गया, जिससे ग्रामीणों में असंतोष बना रहा।

जनता की मांग

ग्रामीणों ने मुखिया और प्रशासन से एक स्पष्ट और लिखित आश्वासन की मांग की, लेकिन प्रशासन ने केवल मौखिक वादे किए। इस पर गांववाले असंतुष्ट थे और उनका कहना था कि जब तक यह सब कुछ लिखित रूप में नहीं दिया जाता, तब तक वे विश्वास नहीं करेंगे। सड़क जाम के बाद भी यह स्थिति बनी रही, और प्रशासन पर दबाव बनता गया कि वह इसे गंभीरता से ले।

समाधान की ओर बढ़ते कदम

मुखिया और प्रशासन की ओर से लगातार आश्वासन देने के बावजूद, ग्रामीणों ने तब तक जाम जारी रखा जब तक उन्हें एक लिखित आश्वासन नहीं मिला। अंत में मुखिया ने यह वादा किया कि बाढ़ को घोषित किया जाएगा और राहत कार्य शुरू होंगे, लेकिन इस आश्वासन को भी लिखित रूप में देने की कोई प्रक्रिया नहीं थी।

चार घंटे के बाद, ग्रामीणों ने प्रशासन के आश्वासन पर विश्वास करते हुए सड़क जाम तोड़ दिया, लेकिन उनकी चिंता यह रही कि प्रशासन के मौखिक वादे पर उनकी स्थिति नहीं सुधरेगी, और यदि राहत कार्य सही तरीके से नहीं किया गया तो आने वाले समय में स्थिति और भी बिगड़ सकती है।

निष्कर्ष

यह घटना इस बात को दर्शाती है कि कभी-कभी प्रशासनिक निर्णयों में देरी और स्पष्टता की कमी से स्थिति जटिल हो जाती है। जब तक प्रशासन अपनी योजनाओं को स्पष्ट और लिखित रूप में नहीं देता, तब तक जनता का विश्वास बना नहीं रहता। इस घटना से यह भी साफ होता है कि केवल आश्वासन ही काफी नहीं होता, खासकर तब जब लोग अपनी बुनियादी ज़िंदगी की जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हों। प्रशासन को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ऐसे संकटों में लोगों को सही और तत्काल राहत मिल सके।

Sachcha Samachar Desk

Sachcha Samachar Desk वेबसाइट की आधिकारिक संपादकीय टीम है, जो देश और दुनिया से जुड़ी ताज़ा, तथ्य-आधारित और निष्पक्ष खबरें तैयार करती है। यह टीम विश्वसनीयता, ज़िम्मेदार पत्रकारिता और पाठकों को समय पर सही जानकारी देने के सिद्धांत पर काम करती है।

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