कटोरिया, बांका (बिहार): सावन का महीना है, और इस पवित्र अवसर पर जहां लाखों कांवरिए कंधे पर जल लेकर सुल्तानगंज से देवघर बाबा धाम तक की सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो सिर्फ उनकी सेवा में ही दिन-रात जुटे हैं। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण इन दिनों बांका जिले के कटोरिया प्रखंड के डुमरिया गांव में देखने को मिल रहा है। यहां, सोशल मीडिया पर अपने फनी वीडियो के लिए मशहूर रितु सिंह ने एक शानदार सेवा शिविर लगाया है।
इस शिविर में कांवरियों को ठंडा शरबत, पीने का पानी, चाय, मौसमी फल और प्राथमिक चिकित्सा की दवाएं दी जा रही हैं। सबसे खास बात यह है कि यह नेक काम किसी बड़े संगठन या सरकारी फंड से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर किया जा रहा है। रितु सिंह खुद इस शिविर की पूरी देखरेख कर रही हैं और अपने हाथों से थके-हारे कांवरियों की सेवा में लगी हैं।
डुमरिया का यह शिविर क्यों बन गया है राहत का केंद्र?
हर साल सुल्तानगंज से देवघर तक की कांवर यात्रा लगभग 105 किलोमीटर की होती है। भीषण गर्मी, उमस और लगातार चलने से कई बार कांवरियों के पैरों में छाले पड़ जाते हैं, शरीर बुरी तरह थक जाता है और पानी की कमी भी हो जाती है। ऐसे में, डुमरिया में रितु सिंह द्वारा लगाया गया यह सेवा शिविर उनके लिए वास्तव में एक बड़ी राहत बनकर उभरा है।
यहां सिर्फ ठंडे शरबत और पानी ही नहीं मिलता, बल्कि थके हुए कांवरियों को बैठने और आराम करने की बेहतरीन व्यवस्था भी की गई है। इतना ही नहीं, रितु सिंह और उनकी टीम उन कांवरियों के पैरों पर दवा और मरहम लगाकर उन्हें तुरंत राहत देती हैं, जिनके पैरों में छाले या सूजन आ गई हो। उनकी इस निःस्वार्थ सेवा ने कई यात्रियों का मनोबल बढ़ाया है।
“अगर वीडियो डालने से सेवा की भावना रखने वाले लोग जुड़कर काँवरियों की सेवा में योगदान दे रहे हैं, तो क्या बुरा है?”
रितु सिंह की सेवा भावना पर कुछ लोग सोशल मीडिया पर सवाल भी उठा रहे हैं। उनका तर्क है कि अगर सेवा करनी है तो उसका वीडियो बनाकर पोस्ट करने की क्या ज़रूरत है? उनका मानना है कि यह सेवा कम और पब्लिसिटी पाने का तरीका ज़्यादा है।
इस आलोचना पर रितु सिंह ने बहुत ही सधे हुए और बेबाक शब्दों में अपना पक्ष रखा है। उन्होंने जवाब दिया, “वीडियो डालने से देश-विदेश के शिवभक्त हमसे जुड़ पा रहे हैं और काँवरियों की सेवा के लिए दान या सहयोग दे रहे हैं, तो इसमें स्थानीय प्रशासन और मेजबान राज्य का ही नाम रोशन हो रहा है। हमारे कांवरिए अच्छा अनुभव लेकर जा रहे हैं। सरकार की ‘अतिथि देवो भव:’ की भावना का प्रचार-प्रसार हो रहा है।”
वह आगे चुनौती देते हुए पूछती हैं, “जो लोग वीडियो को लेकर सवाल उठा रहे हैं, वो खुद बताएं कि बाहर से आए इन श्रद्धालुओं को अच्छा अनुभव देने के लिए वे क्या कर रहे हैं? कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना। पर मेरा तो अटल विश्वास है कि अगर मेरी सेवा भावना में ज़रा भी खोट होती, तो महादेव मुझसे अपने परम भक्तों की सेवा करवाते ही नहीं। सेवा करने का यह परम सौभाग्य और इसका स्त्रोत, मुझे स्वयं महादेव की प्रेरणा से ही मिला है।”
रितु सिंह का यह जवाब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और लोग उनकी इस दूरंदेशी सोच की खूब तारीफ भी कर रहे हैं। उनका स्पष्ट मानना है कि सोशल मीडिया एक शक्तिशाली माध्यम है, और अगर उससे समाज में कुछ अच्छा हो रहा है, तो उसे सिर्फ नकारात्मक नज़रिए से नहीं देखा जाना चाहिए।
“सेवा भाव ही असली भक्ति है”
रितु सिंह बताती हैं कि सावन में कांवरियों की सेवा करना उनके लिए सीधे बाबा भोलेनाथ की सेवा करने जैसा है। उनका सरल कहना है कि – “भक्ति केवल मंदिर में पूजा करने या माला जपने से नहीं होती। असली भक्ति तो तब होती है जब हम भगवान के सच्चे भक्तों की सेवा करते हैं। थके-हारे कांवरियों का मनोबल बढ़ाना, उन्हें ठंडा पानी, एक कप चाय या ताज़े फल उपलब्ध कराना भी अपने आप में एक बहुत बड़ी भक्ति है।”
वह मानती हैं कि इस सेवा शिविर से उन्हें अद्वितीय आत्मिक शांति मिलती है। साथ ही, आस-पास के स्थानीय लोग भी उनके इस काम की सराहना कर रहे हैं और अपनी तरफ से सहयोग भी दे रहे हैं।
सोशल मीडिया की ताकत का सकारात्मक इस्तेमाल
रितु सिंह का यह सेवा शिविर एक शानदार उदाहरण है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं, बल्कि ज़रूरतमंदों की सेवा और समाज कल्याण के लिए भी किया जा सकता है। उनके वीडियो जहां लोगों को हंसाते हैं, वहीं अब वह बोलबम पथ पर इस सच्ची सेवा के ज़रिए हजारों लोगों का दिल जीत रही हैं।
उनके द्वारा पोस्ट किए गए सेवा से जुड़े वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि वह कितनी तल्लीनता से खुद कांवरियों को शरबत पिला रही हैं, थके-मांदे पैरों की देखभाल कर रही हैं और उनके आराम का पूरा ध्यान रख रही हैं।
स्थानीय लोगों और प्रशासन ने भी की सराहना
डुमरिया गांव के कई स्थानीय लोगों ने भी इस शिविर की ओपन-हार्टेड (दिल खोलकर) सराहना की है। गांव के एक बुजुर्ग ने कहा, “आज के समय में सोशल मीडिया को सिर्फ दिखावे का प्लेटफॉर्म माना जाता है, पर इन्होंने अपनी सेवा भावना को ज़मीन पर उतारकर दिखाया है। रितु जैसी युवा युवती अपने काम से समाज को एक नया रास्ता दिखा रही है।”
स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने भी शिविर की व्यवस्था का जायज़ा लिया और सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी मदद देने का भरोसा दिया है।
निष्कर्ष:
सावन के इस पावन महीने में, जहां चारों ओर भक्ति का माहौल है, वहीं रितु सिंह जैसे लोग यह संदेश दे रहे हैं कि सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है। अगर सोशल मीडिया के माध्यम से समाज सेवा को एक बढ़ावा मिल रहा है, तो उसे केवल नकारात्मक तरीके से देखना ठीक नहीं है। यह शिविर भोलेनाथ की भक्ति, और उनके महाभक्तों की निःस्वार्थ सेवा का एक अद्भुत संगम है।
रितु सिंह ने अंततः यह सिद्ध कर दिया है कि “अगर नीयत साफ हो और मन में सेवा भाव हो, तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं, और महादेव हर कदम पर आपका साथ देते हैं।“








