संतोष आनंद, जिनके गीतों ने बॉलीवुड को एक नई पहचान दी और उनकी आवाज़ में एक ऐसी खामोशी छिपी थी, जो लाखों दिलों को छू जाती थी। उनके लिखे हुए गीत आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं, लेकिन अफसोस की बात यह है कि बॉलीवुड ने जितनी तरह से उन्हें सराहा, उतनी ही चुप्पी भी बनी रही जब बात उनके निजी जीवन की आई। उन्हें उस सहारे की जरूरत थी, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना की थी, लेकिन बॉलीवुड की चमक-धमक में उनका संघर्ष कहीं खो गया।
संतोष आनंद का योगदान
संतोष आनंद का नाम उन गीतकारों में शुमार है जिन्होंने बॉलीवुड को कई सुपरहिट गाने दिए। उनका लिखा हुआ गीत “एक प्यार का नगमा है” आज भी लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा बना हुआ है। इस गीत के माध्यम से उन्होंने प्यार, जज़्बात और संवेदनाओं को इतनी खूबसूरती से व्यक्त किया कि वह न केवल एक दौर का हिट गाना बन गया, बल्कि लोगों के दिलों में बसा भी रहा। इसके अलावा उनके कई अन्य गीत भी भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर साबित हुए।
कई संघर्षों के बाद भी बॉलीवुड ने नहीं दिया सहारा
जब संतोष आनंद के गीतों ने बॉलीवुड में पहचान बनाई थी, तो किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन यह गीतकार संघर्ष और अकेलेपन की दर्दनाक यात्रा पर चल पड़ेगा। उनके कई गीत भारतीय सिनेमा के ऐतिहासिक गानों में शुमार होते हैं, लेकिन क्या बॉलीवुड ने उन्हें वैसा ही समर्थन दिया जैसा उन्होंने दिया था? उनका यह सवाल आज भी उठता है। उन्होंने अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल वक्त में कभी किसी से कोई सहायता नहीं मांगी, लेकिन यह सच है कि बॉलीवुड ने उन्हें उस सहारे से महरूम रखा, जिसकी उन्हें इस उम्र में सख्त जरूरत थी।
स्वास्थ्य के संघर्ष में बॉलीवुड का सहयोग न होना
आज संतोष आनंद पार्किंसन जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं, और जब उन्हें सबसे ज्यादा सहारे की जरूरत थी, तो बॉलीवुड, जो उनकी रचनाओं के कारण दुनिया भर में पहचाना जाता है, वह चुप बैठा रहा। उन्हें न तो आर्थिक मदद मिली और न ही कोई संस्थान या व्यक्ति उनके स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने के लिए सामने आया। जिस बॉलीवुड में उनके गीतों ने रोमांस और दर्द दोनों को बेहद खूबसूरती से दर्शाया, वहीं आज उनके अपने गीतों का सहारा लेने वाला कोई नहीं है।
क्या बॉलीवुड अपने रचनाकारों को भूल जाता है?
संतोष आनंद के जीवन की यह स्थिति यह सवाल उठाती है कि क्या बॉलीवुड केवल एक कलाकार से उनके योगदान तक सीमित होता है, या फिर उसका असली मूल्य और सम्मान जीवनभर बना रहना चाहिए? जब तक कोई कलाकार मंच पर है और उसकी रचनाओं से बॉलीवुड की चमक बढ़ रही होती है, तब तक उसका सम्मान होता है, लेकिन जैसे ही वह संघर्ष और अकेलेपन का सामना करता है, बॉलीवुड का यह सम्मान अचानक गायब हो जाता है।
संतोष आनंद का संघर्ष और बॉलीवुड का उत्तरदायित्व
आज संतोष आनंद जैसे कलाकार, जिन्होंने बॉलीवुड को अमूल्य योगदान दिया है, अपने जीवन के कठिन दौर से गुजर रहे हैं। यदि बॉलीवुड अपने इन रचनाकारों का सही समय पर सहारा देता, तो शायद संतोष आनंद को इस स्तर तक नहीं पहुंचना पड़ता। बॉलीवुड को यह समझना होगा कि जो कलाकार उसके हिट गानों और सफल फिल्मों की वजह से नाम कमा रहे हैं, उनके जीवन के संघर्ष के दौरान उसका सहयोग और समर्थन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
आज भी अगर बॉलीवुड ने अपने योगदान देने वाले कलाकारों को उचित सम्मान और सहयोग नहीं दिया, तो यह केवल सिनेमा उद्योग की शॉर्टसाइटेड सोच को दर्शाता है। संतोष आनंद जैसे महान कलाकारों का संघर्ष एक चेतावनी हो सकता है बॉलीवुड के लिए, कि अगर उसे अपनी संस्कृति और रचनात्मकता को बनाए रखना है, तो उसे अपने पुराने रचनाकारों का भी ध्यान रखना होगा।
निष्कर्ष
संतोष आनंद का जीवन एक प्रेरणा है, लेकिन यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि बॉलीवुड, जो आज उनकी रचनाओं का दीवाना है, उनके कठिन समय में उनका सहारा नहीं बन पाया। उनकी कहानी एक उदाहरण है कि कला और संगीत से जुड़े लोग भी इंसान हैं और उन्हें भी सम्मान, सहारा और मदद की आवश्यकता होती है। बॉलीवुड को यह समझना होगा कि कला और कलाकारों के लिए केवल वाह-वाही ही नहीं, बल्कि उनके जीवन के संघर्षों में भी साथ देना ज़रूरी है।