महुआ, वैशाली: बिहार के वैशाली जिले के महुआ थाना क्षेत्र में एक 50 वर्षीय व्यक्ति की पुलिस की कार्रवाई के दौरान सड़क पर गिरने से मौत हो गई। यह घटना शनिवार की सुबह हुई, जब पुलिस एक इलाके में शराबबंदी को लेकर छापामारी करने गई थी। इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस पर हमले और एक पुलिसकर्मी को बंधक बनाए जाने की घटनाएं सामने आईं।
घटना का विवरण
सूत्रों के अनुसार, पुलिस की गाड़ी को देखकर राजेंद्र पासवान, जो जलालपुर गंगी गांव का निवासी था, घबरा गया और भागने लगा। पुलिस और राजेंद्र के बीच की दूरी लगभग 250 मीटर थी। भागते समय वह सड़क पर गिर पड़ा और गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तुरंत अस्पताल ले जाने का प्रयास किया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मृतक के परिवार का कहना है कि पुलिस की पिटाई के कारण उसकी मौत हुई। परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने राजेंद्र को बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी मौत हुई।
स्थानीय लोगों का आक्रोश
राजेंद्र की मौत की खबर फैलते ही स्थानीय लोग गुस्से में आ गए। उन्होंने पुलिस की गाड़ी पर पत्थर फेंके और एक पुलिसकर्मी को पकड़कर बंधक बना लिया। गुस्साए लोगों ने पुलिस से जवाबदेही की मांग की और इसके खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
महुआ एसडीपीओ सुरभित ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने हाथ जोड़कर उनसे शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण बनी रही।
पुलिस की प्रतिक्रिया
घटना की सूचना मिलने पर महुआ थाना की पुलिस तुरंत सक्रिय हुई और अतिरिक्त बल भेजा गया। पुलिस अधीक्षक हर किशोर राय ने बताया कि घटना की पूरी जांच की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस की कार्रवाई शराबबंदी के तहत की जा रही थी और भागते समय राजेंद्र को किसी भी पुलिसकर्मी द्वारा सीधे तौर पर चोट नहीं पहुंचाई गई थी।
पुलिस ने राजेंद्र के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पुलिस का कहना है कि शव की रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि मौत का असली कारण क्या था।
मृतक के परिजनों का दर्द
राजेंद्र पासवान के परिजनों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उनका कहना है कि वह एक गरीब किसान थे और परिवार में चार भाई थे। उनके तीन बेटे थे, जिनमें से एक की शादी जल्द होने वाली थी। मृतक की बेटी की शादी भी आगामी छठ पर्व के बाद होने वाली थी, जिससे परिवार में खुशी का माहौल था।
राजेंद्र के छोटे भाई ने कहा, “हम पुलिस से न्याय की मांग करते हैं। हमारे पास अब कोई नहीं रहा। क्या हम अपने भाई की मौत को यूं ही भूल जाएंगे?”
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
इस घटना ने स्थानीय लोगों में पुलिस की कार्रवाई और उनकी जिम्मेदारियों पर सवाल उठाए हैं। कई लोगों का मानना है कि पुलिस को अधिक संवेदनशीलता से काम करना चाहिए, खासकर जब मामला ग्रामीण समुदायों से जुड़ा हो।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुलिस का व्यवहार अक्सर सख्त होता है, और ऐसे मामलों में उन्हें अधिक मानवता दिखाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
इस घटना ने न केवल एक परिवार को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे गांव में गुस्से और डर का माहौल बना दिया है। लोग अब न्याय की उम्मीद में हैं, और उनका विश्वास पुलिस पर से उठता जा रहा है।
यह मामला आगे की जांच का विषय बनेगा, और इससे जुड़े सभी पहलुओं की गहन जांच होनी चाहिए। स्थानीय प्रशासन को भी इस पर ध्यान देना होगा कि कैसे ऐसी घटनाएं भविष्य में रोकी जा सकती हैं, ताकि समुदाय में शांति और विश्वास स्थापित हो सके।
बिहार के वैशाली में हुई इस घटना ने हमें एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम अपने समाज में पुलिस और आम नागरिकों के बीच बेहतर संवाद और समझ स्थापित कर सकते हैं।
आगे की जानकारी के लिए जुड़े रहें, और देखिए कि इस मामले में और क्या विकास होते हैं।