बिहार में 2015 में शराबबंदी लागू की गई थी। इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता था। इस कानून का उद्देश्य राज्य में शराब के सेवन को रोकना और लोगों को सुरक्षित करना था। लेकिन पिछले कुछ समय से इस कानून की सफलता पर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में सारन और सिवान जिलों में जहरीली शराब पीने से 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इससे साफ है कि शराबबंदी के बावजूद लोग अभी भी शराब का सेवन कर रहे हैं।
बिहार के कई नागरिक इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि शराबबंदी का असली लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। एक व्यक्ति ने कहा कि शराबबंदी का उद्देश्य सही था, लेकिन कुछ माफिया अब भी शराब की सप्लाई कर रहे हैं। घर-घर जाकर शराब पहुंचाई जा रही है। इससे जहरीली शराब का सेवन बढ़ गया है। लोगों का मानना है कि अगर सरकार सख्ती से कार्रवाई करे और माफियाओं पर नकेल कसे, तो स्थिति सुधर सकती है।
कई लोगों का कहना है कि शराबबंदी के कारण कई घरों में समस्या बढ़ी है। अब लोग महुआ, चावल या अन्य चीजों से जहरीली शराब बना रहे हैं। इससे न केवल उनकी जान को खतरा है, बल्कि उनके परिवार भी प्रभावित हो रहे हैं। एक अन्य नागरिक ने बताया कि जब लोग शराब की तलब में होते हैं, तो वे गलत रास्ता अपनाने पर मजबूर हो जाते हैं।
हालांकि, कुछ लोग इस शराबबंदी को एक सकारात्मक पहल मानते हैं। उनका कहना है कि इससे कई परिवारों में सुधार आया है और कुछ हद तक सामाजिक बुराइयां कम हुई हैं। लेकिन जब शराबबंदी का असली उद्देश्य ही खतरे में है, तो क्या यह नीति सफल हो रही है?
शराबबंदी के कारण कई लोग बेरोजगार भी हो गए हैं। पहले जिन लोगों की आजीविका शराब की दुकानों से चलती थी, वे अब मुश्किल में हैं। कई लोग इसे एक रोजगार का अवसर मानते हैं। लोगों का कहना है कि अगर शराब कानूनी रूप से उपलब्ध हो, तो जहरीली शराब के सेवन की घटनाएं कम हो जाएंगी।
सरकार की ओर से हाल ही में पुलिस छापेमारी तेज कर दी गई है। प्रशासन ने शराब भट्ठियों को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं, लेकिन लोग फिर भी कहते हैं कि इस समस्या का समाधान जल्द होना चाहिए। इस स्थिति में लोग चाहते हैं कि सरकार एक ठोस योजना बनाकर शराबबंदी को सही तरीके से लागू करे।
संक्षेप में, बिहार में शराबबंदी का उद्देश्य तो अच्छा था, लेकिन इसे लागू करने में कई चुनौतियां आ रही हैं। जनता का आक्रोश और समस्याएं यह दर्शाती हैं कि सरकार को अब गंभीरता से इस मुद्दे पर विचार करना होगा। अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है, और इससे लोगों की जान को खतरा और बढ़ जाएगा।