बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बीजेपी से बढ़ती नाराजगी अब चर्चा का विषय बन गई है। पिछले कुछ समय से नीतीश के संकेत बता रहे हैं कि वह एनडीए को छोड़ने का मन बना रहे हैं। यह स्थिति बीजेपी और बिहार की राजनीति के लिए चिंता का कारण बन रही है।
दूरी के संकेत
हाल में हुई जेडीयू की बैठक में नीतीश ने बीजेपी के मंत्रियों को आमंत्रित नहीं किया। इससे यह साफ है कि वह बीजेपी से दूरी बना रहे हैं। इससे पहले, जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पटना आए, तो नीतीश ने उनसे भी मुलाकात नहीं की। इससे यह भी दिखता है कि नीतीश बीजेपी के साथ अपने रिश्तों में खटास ला रहे हैं।
चुनावी परिणामों का असर
8 अक्टूबर को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजे भी अहम हो सकते हैं। अगर बीजेपी वहां हारती है, तो यह बिहार में भी राजनीतिक बदलाव का कारण बन सकता है। आरजेडी ने कहा है कि अगर बीजेपी हारती है, तो नीतीश कुमार एनडीए छोड़ सकते हैं।
बीजेपी की चिंता
बीजेपी ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। अगर नीतीश और चिराग पासवान एनडीए से बाहर निकलते हैं, तो बीजेपी की सत्ता को खतरा हो सकता है। बिहार में एनडीए के पास कुल 292 सीटें हैं, और अगर ये दोनों नेता अलग हो जाते हैं, तो बीजेपी की स्थिति कमजोर हो सकती है।
राजनीति की अनिश्चितता
नीतीश कुमार की चुप्पी और उनके निर्णयों की अनिश्चितता ने बिहार की राजनीति को एक नई दिशा में डाल दिया है। कई विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश एनडीए को छोड़ने की तैयारी में हैं। उनके पिछले अनुभवों को देखते हुए, यह संभव है कि वह अंतिम समय तक अपनी योजनाओं को गुप्त रखेंगे।
संभावित गठबंधन
अगर नीतीश एनडीए से बाहर निकलते हैं, तो उनकी अगली रणनीति क्या होगी? कुछ लोग मानते हैं कि वह आरजेडी के साथ मिल सकते हैं। लेकिन आरजेडी ने पहले ही कहा है कि वह नीतीश के साथ गठबंधन नहीं करेगी। फिर भी, राजनीतिक हालात बदल सकते हैं।
निष्कर्ष
नीतीश कुमार की नाराजगी और उनकी संभावित पलटी से बिहार की राजनीति में हलचल हो सकती है। सभी पार्टियों को अपनी रणनीतियों को मजबूत करने की जरूरत है। यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश अपने कदम कब उठाते हैं और किस दिशा में जाते हैं।