आज पूरे देश में विजय दशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इसे रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले दहन के माध्यम से मनाया जाता है। विभिन्न शहरों में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
पटना में रावण दहन की तैयारियां
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में इस साल 80 फीट का रावण, 75 फीट का कुंभकर्ण और 70 फीट का मेघनाथ जलाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए व्यापक इंतजाम किए हैं। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति भी सुनिश्चित की गई है।
नवादा और बक्सर में उत्सव
नवादा में भी रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जहां 55 फीट का रावण और 50 फीट का मेघनाथ बनाया गया है। इस आयोजन को लेकर स्थानीय समुदाय में उत्साह देखा जा रहा है। वहीं, बक्सर के किला मैदान में भी रावण वध की तैयारी पूरी हो चुकी है, जहां सुरक्षा के लिए पुलिस और मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं।
शस्त्र पूजा का महत्व
इस मौके पर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दार्जिलिंग में शस्त्र पूजा की, जहां उन्होंने जवानों के बलिदान को याद किया। उन्होंने इस दिन की अहमियत पर जोर देते हुए बताया कि यह दिन हमें असत्य पर सत्य की विजय का संदेश देता है।
सिंदूर खेला: बंगाली परंपरा
विजय दशमी का यह दिन केवल रावण दहन का नहीं, बल्कि मातृ शक्तियों की आराधना का भी है। बंगाली समुदाय में, महिलाएं “सिंदूर खेला” मनाते हुए माता दुर्गा को विदाई देती हैं, जिसमें वे एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं।
इस प्रकार, विजय दशमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है, जो हमें अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इस दिन, सभी को बुराई पर अच्छाई की जीत की शुभकामनाएं!