हर वर्ष की तरह, इस बार भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने विजयादशमी के अवसर पर शस्त्र पूजा का आयोजन किया। यह उत्सव न केवल भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह संघ के सदस्यों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर भी है, जब वे अपने संगठन की शक्ति और एकता का जश्न मनाते हैं। नागपुर के रेशम बाग मैदान में आयोजित इस समारोह में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित किया, जिसमें उन्होंने कई समकालीन मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।
बांग्लादेश और भारत के संबंध
अपने संबोधन में भागवत ने बांग्लादेश की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि पड़ोसी देश में जो हालात बन रहे हैं, उनके पीछे कुछ तात्कालिक कारण हो सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बांग्लादेश में ऐसी चर्चाएं चलती हैं कि भारत से खतरा है, और इसके लिए पाकिस्तान के साथ मिलकर कार्रवाई करने की बातें उठाई जाती हैं। भागवत ने स्पष्ट किया कि जब भारत का विकास होगा, तो स्वार्थी तत्वों की दुकानें बंद हो जाएंगी।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
भागवत ने इज़राइल-हमास संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि इस संघर्ष से पूरी दुनिया चिंतित है। उन्होंने कहा कि भारत की अंतरराष्ट्रीय साख बढ़ी है, खासकर जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनावों के कारण। उन्होंने चेतावनी दी कि कुछ देश भारत की बढ़ती ताकत को रोकना चाहते हैं और भारतीय हिंदू समाज पर होने वाले अत्याचारों के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है।
संगठित रहना आवश्यक
संघ प्रमुख ने हिंदू समाज को संगठित और सशक्त रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि दुर्बल रहना एक अपराध है और यदि हम असंगठित हैं, तो यह अत्याचार को आमंत्रण देने जैसा है। उन्होंने कहा कि हमें हिंसक नहीं बनना है, लेकिन हमें अपनी रक्षा के लिए मजबूत रहना चाहिए।
बच्चों और तकनीकी पर चिंता
मोहन भागवत ने बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन की बढ़ती संख्या पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बच्चों की गतिविधियों पर किसी का नियंत्रण नहीं है, और यह एक गंभीर मुद्दा है जिसे परिवार और समाज को मिलकर सुलझाना होगा।
पूर्व ISRO प्रमुख का संबोधन
इस बार के विजयादशमी समारोह में पद्मभूषण और पूर्व ISRO प्रमुख के. राधाकृष्णन भी उपस्थित थे। उन्होंने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत से प्राप्त निमंत्रण को अपने लिए एक सम्मान बताया। राधाकृष्णन ने संघ की स्थापना के महत्व को भी रेखांकित किया, जो 1925 में हुई थी और जिसका संबंध विजयादशमी से है।
रक्षा मंत्री का शस्त्र पूजा कार्यक्रम
विजयादशमी के अवसर पर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दार्जिलिंग में शस्त्र पूजा का आयोजन किया। उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यह पूजा शक्ति का प्रतीक है। राजनाथ सिंह ने अमर शहीद जवानों के बलिदान को याद किया और उनके प्रति सम्मान प्रकट किया। उन्होंने भी शस्त्र पूजा के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि यह केवल हथियारों की पूजा नहीं है, बल्कि यह देश की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
संगठन की आवश्यकता
राजनाथ सिंह ने समारोह में मौजूद जवानों को विजयादशमी की शुभकामनाएं दी और कहा कि इस अवसर पर हमें देश की सुरक्षा के प्रति अपने कर्तव्यों को याद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शस्त्र पूजा हमें यह याद दिलाती है कि हमारी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
निष्कर्ष
विजयादशमी का यह उत्सव केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज के लिए एक गहरा संदेश लेकर आता है। यह संघ की एकता, शक्ति और संकल्प का प्रतीक है। भागवत और राजनाथ सिंह के संबोधनों से यह स्पष्ट होता है कि आज की दुनिया में, जब चुनौतियाँ अनेक हैं, तब संगठित और सशक्त रहना बेहद आवश्यक है।
इस प्रकार, विजयादशमी का यह पर्व हमें प्रेरणा देता है कि हम एकजुट होकर आगे बढ़ें और अपने देश और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं। संघ का यह आयोजन न केवल एक परंपरा है, बल्कि यह हम सभी के लिए एक नया संकल्प भी है कि हम अपने अधिकारों की रक्षा करते हुए, अपने कर्तव्यों को निभाते रहें।