बिहार विधानसभा चुनावों के नजदीक आते ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने “हिंदू स्वाभिमान यात्रा” की घोषणा की है। यह यात्रा सीमांचल के चार जिलों—कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज—में आयोजित की जाएगी, जहां मुस्लिम समुदाय का प्रभाव अधिक है। गिरिराज सिंह का उद्देश्य हिंदुत्व को आगे बढ़ाना और स्थानीय हिंदू मतदाताओं को एकजुट करना है।
गिरिराज सिंह ने अपनी बयानबाजी में हिंदू समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों की बात की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अगर मुस्लिम समुदाय पाकिस्तान नहीं जाता, तो भारत में “लव जिहाद” और “भूमि जिहाद” जैसी समस्याएं नहीं होतीं। उनका यह बयान कई राजनीतिक दलों द्वारा तीखी आलोचना का शिकार हो रहा है। कांग्रेस और आरजेडी जैसे दलों ने उन पर संविधान की शपथ के उल्लंघन का आरोप लगाया है, कहते हुए कि उनकी बातें समाज को विभाजित कर रही हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि गिरिराज सिंह की यह यात्रा चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वे हिंदुत्व के नारे के जरिए एक विशेष वोट बैंक को अपने पक्ष में लाना चाहते हैं। इस क्षेत्र में ओवैसी और अन्य दलों का प्रभाव होने के कारण यह यात्रा उनके लिए एक चुनौती भी साबित हो सकती है।
क्या गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा बिहार चुनाव में एक नया मोड़ लाएगी, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन राजनीतिक माहौल में इस यात्रा के प्रभाव की चर्चा जोर पकड़ रही है।